दशहरा
दहन कागज़ के पुतले को रावण का नाम देकर कर भी दिया
तो दशहरे के मायने नहीं समझे हैं तुमने ,
मन के अंदर बसी दुर्भावनाओं का दहन हो तो सही मायने में दशहरा है ,
प्रेम भी तुम में द्वेष भी तुम में
राम भी तुममे ,रावण भी तुममे ,
गुण भी तुम में ,अवगुण भी तुममें ,
विचार करो गहन किसका करोगे दहन
क्योंकि राम भी तुम में रावण भी तुम में
प्रण करें की एक अवगुण का नाश हो ,
बाहर नहीं किन्तु अपने अंदर के रावण का विनाश हो
-प्रीती मिश्र तिवारी
October 3 2014