ख्यालात -Thoughts

ख्यालात -Thoughts

खानाबदोश से ख्यालात ज़ेहन में उतरते जाते हैं
बेतरतीबी का आलम ये कलम हाथ में लेकिन सफ़्हात उड़े जाते हैं

प्रीती मिश्र तिवारी

नवंबर १६ २०१५

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