0 Posted on August 10, 2021 by Preeti Mishra Tiwari कश्मकश – Dilemma कश्मकश ये कैसी कश्मकश ये कैसी जददोजहद , बचपन था तो बड़े हो जाने की होड़ , बड़े हुए तो बचपन को पीछे छोड़ आने का अफ़सोस कल को पाने की होड़ थी , कल के छूट जाने का अफसोस था इस आपाधापी में कब आज फिसल गया हाथों से ये पता ही नहीं चला प्रीति मिश्र तिवारी ७-७-२०१५ July 7 2015